Wednesday 14 January 2015

Apne Janm Din Par - A poem

This poem starting four lines were written by my daughter Niharika Butani, and based on that i wrote this poem.

अपने जन्मदिन पर
पिताजी को देखकर
मैं फूली 
न समाई
आगे पीछे डोलकर
नाज़ों से यूं बोलकर
मैं फूली 
न समाई
पलको में सपनो को छिपकर जो बैठी हूँ
उन सपनो को हकीकत के पर लगाने बैठी हूँ
मन के सारे अरमान
है तारो भरा आसमान
में संग
लेकर आई
अपने जन्मदिन पर
पिताजी को देखकर
मैं फूली 
न समाई
मेरे पिताजी तो हरदम मेरे आँखों में रहते है
बेटी में हूँ पास तेरे यह हरदम आके कहते है
झूम के में मारती हूँ तापा
कहती हूँ में ई लव यू पापा
यह खुशी
सबको सुनाई
अपने जन्मदिन पर
पिताजी को देखकर
मैं फूली 
न समाई
मेरी प्यारी सी बेटी तू तोह आँखों का तारा है
मेरा यह जीवन बस तुझपे वारा है
तू ही दिल में बसी है
तू ही मन में रची है
यह बोली
तूने बनायीं
अपने जन्मदिन पर
पिताजी को देखकर
मैं फूली 
न समाई
अपने मम्मी के दिल में तेरा रंग खिलता है
तू ही है जो मेरे खुशियों से आके मिलता है
तू ही है जो मेरे खुशियों से आके मिलता है
तेरे बिना क्या है कुछ भी नहीं
तू ही बस तू है सब कुछ यहीं
हर आस
तूने जगाई
अपने जन्मदिन पर
पिताजी को देखकर
मैं फूली 
न समाई

This poem starting four lines were written by my daughter Niharika Butani, and based on that i wrote this poem.
A poem by Kanu Butani