राग सूही , महला पंजवा , छंद
इक ओंकार सतगुर प्रसाद ||
मिठ बोलरा जी हर साजन स्वामी मोरा
केदो मिठो थो गालाहे मुंहिंजो प्यारो सुहणो साई |
हउ समल थकी जी ओ कदै न बोलै कउड़ा
मां परखे थकजी पियास, पर कढह न कउरो गालायईं ||
कउड़ा बोल न जाने पूरण भगवाने अवगुण को न चितारे
कौड़ा अखर कोन जाणे पूरो पारब्रह्म मुहिंजा अवगुण कीन ढेखारे |
पतित पावन हर बिरद सदाए इक तिल नहीं भनै घालै
पाहिजो पाण करे पतितं खे पावन ज़रो न कहिखे विसारे ||
घाट घाट वासी सरब निवासी नेरे ही ते नेरा
हर दिल में हर हंद आ, नज़दीकन खा नज़दीक |
नानक दस सदा सरनागत हर अमृत साजन मेरा
नानक दस सदा तो शरण अमृत जिया मूं मीत ||
_________________________________
गौरी महला पंजवा
तिस गुर कोउ सिमरउ सास सास
हुन गुरुअ खे जप सास सास |
गुर मेरे प्राण सतगुर मेरी रास
गुरू मुंहिंजो साहु सतगुर मुंहिंजी रास ||
गुर का दरसन देख देख जीवा
गुरुअ जो दर्शन डिसी डिसी जीयां |
गुर के चरण धोए धोए पीवा
गुरुअ जा चरण धोई धोई पियां ||
गुर की रैण नित मंजन करउ
गुरुअ जी मिटीय सां मां सनान करियां |
जनम जनम की हउमै मैल हरउ
जनमन जे अहम जो गन्दु कढा ||
तिस गुर को झुलवओ पाखा
हुन गुरुअ खे मा चवण झूलायां वई |
महा अगन ते हाथ दे राखा
वडयुन बाहियुन मा ढेइ हथ सम्भालियई ||
तिस गुर के ग्रिहि देवउ पाणी
हुन गुरुअ जे घर मा दियां पाणी |
जिस गुर ते अकल गत जानी
जह गुरुअ खा मूं साहब राह जाणी ||
तिस गुर के ग्रिहि पीसउ नीत
हुन गुरुअ जे घर कणक पीसियां |
जिस परसाद वैरी सब मीत
जै किरपा दुश्मन सब दोस्त थिया ||
जिन गुर मउ को दीना जीउ
जय गुरुअ मुखे जीवन डिनो |
आपना दासरा आपे मुल लिओ
पहिंजो दास ठाहे पहिंजो मुल वरतो ||
आपे लाइयो अपना पिआर
हुन पाण डिनो पहिंजो प्यार |
सदा सदा तिस गुर को करी नमस्कार
सदा सदा हुन गुरुअ खे कर नमस्कार ||
कल कलेस भै भरम दुःख लाथा
तक्लीफुन डपन भरम दुख निकता |
कह नानक मेरा गुर समरथा
नानक चाये मुंहिंजो गुरु शक्ति दाता ||
_________________________
बसंत महला तीजा
बसंत चड़िया फूली बनराइ
बसंत आयो गुल फुल टिरया आहिन |
एह जीअ जंत फूलह हर चित लाइ
जीव टिरंदा जढह हर सा चित लाहिन ||
इन बिध इह मन हरिया होइ
ईय कंदे हीयू मन साओ रहंदो |
हर हर नाम जपै दिन राती गुरमुख हउमै कढै धोई
हर हर नालो जप दीहरात गुरमुख अहम धोपजी वेंदो ||
सतगुर बाणी शबद सुणऐ
सतगुरु बानी ऐं सब्द पियो बधाए |
यह जग हरिया सतगुर भाए
सतगुर जे प्यार सां जग सावक पाये ||
फल फूल लागे जा आपे लाए
गुल फुल खिलन जडह पाण चाहे |
मूल लगै ता सतगुर पाये
सतगुर सां मिली समझूँ मूल छाहे ||
आप बसंत जगत सभ वाडी
पाण बसंत जग साजो आ बाघु |
नानक पूरै भाग भग़त निराली
नानक इह भक्ति मिले जिन आहे सुभाग ||
___________________________
आसा
सुतु अपराध करत है जेते
बार करो बि करे ढो |
जननी चीत न राखस तेते
मऊ मन में न रखे को ||
रामैया हउ बारक तेरा
रामैया आसीन तुहिंजा बार |
काहे ना खंडस अवगुण मेरा
छोना असांजा मिटाईं अवगुण ||
जे अत क्रॉप करे कर धाइया
केतरो बि गुसे में भजी वञे |
ता भी चीत न राखस माइया
मऊ मन में कान थी रखे ||
चिंत भवन मन परियो हमारा
मन में यह ई चिंता आहे |
राम बिना कैसे उतरस पारा
राम बिना किय पार पाये ||
देह बिमल मत सदा सरीरा |
मु सरीर खे ढे हमेशाये मत |
सहज सहज गुण रवै कबीरा ||
कबीर तोखे गायां हर वक्त ||
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इक ओंकार सतगुर प्रसाद ||
मिठ बोलरा जी हर साजन स्वामी मोरा
केदो मिठो थो गालाहे मुंहिंजो प्यारो सुहणो साई |
हउ समल थकी जी ओ कदै न बोलै कउड़ा
मां परखे थकजी पियास, पर कढह न कउरो गालायईं ||
कउड़ा बोल न जाने पूरण भगवाने अवगुण को न चितारे
कौड़ा अखर कोन जाणे पूरो पारब्रह्म मुहिंजा अवगुण कीन ढेखारे |
पतित पावन हर बिरद सदाए इक तिल नहीं भनै घालै
पाहिजो पाण करे पतितं खे पावन ज़रो न कहिखे विसारे ||
घाट घाट वासी सरब निवासी नेरे ही ते नेरा
हर दिल में हर हंद आ, नज़दीकन खा नज़दीक |
नानक दस सदा सरनागत हर अमृत साजन मेरा
नानक दस सदा तो शरण अमृत जिया मूं मीत ||
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गौरी महला पंजवा
तिस गुर कोउ सिमरउ सास सास
हुन गुरुअ खे जप सास सास |
गुर मेरे प्राण सतगुर मेरी रास
गुरू मुंहिंजो साहु सतगुर मुंहिंजी रास ||
गुर का दरसन देख देख जीवा
गुरुअ जो दर्शन डिसी डिसी जीयां |
गुर के चरण धोए धोए पीवा
गुरुअ जा चरण धोई धोई पियां ||
गुर की रैण नित मंजन करउ
गुरुअ जी मिटीय सां मां सनान करियां |
जनम जनम की हउमै मैल हरउ
जनमन जे अहम जो गन्दु कढा ||
तिस गुर को झुलवओ पाखा
हुन गुरुअ खे मा चवण झूलायां वई |
महा अगन ते हाथ दे राखा
वडयुन बाहियुन मा ढेइ हथ सम्भालियई ||
तिस गुर के ग्रिहि देवउ पाणी
हुन गुरुअ जे घर मा दियां पाणी |
जिस गुर ते अकल गत जानी
जह गुरुअ खा मूं साहब राह जाणी ||
तिस गुर के ग्रिहि पीसउ नीत
हुन गुरुअ जे घर कणक पीसियां |
जिस परसाद वैरी सब मीत
जै किरपा दुश्मन सब दोस्त थिया ||
जिन गुर मउ को दीना जीउ
जय गुरुअ मुखे जीवन डिनो |
आपना दासरा आपे मुल लिओ
पहिंजो दास ठाहे पहिंजो मुल वरतो ||
आपे लाइयो अपना पिआर
हुन पाण डिनो पहिंजो प्यार |
सदा सदा तिस गुर को करी नमस्कार
सदा सदा हुन गुरुअ खे कर नमस्कार ||
कल कलेस भै भरम दुःख लाथा
तक्लीफुन डपन भरम दुख निकता |
कह नानक मेरा गुर समरथा
नानक चाये मुंहिंजो गुरु शक्ति दाता ||
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बसंत महला तीजा
बसंत चड़िया फूली बनराइ
बसंत आयो गुल फुल टिरया आहिन |
एह जीअ जंत फूलह हर चित लाइ
जीव टिरंदा जढह हर सा चित लाहिन ||
इन बिध इह मन हरिया होइ
ईय कंदे हीयू मन साओ रहंदो |
हर हर नाम जपै दिन राती गुरमुख हउमै कढै धोई
हर हर नालो जप दीहरात गुरमुख अहम धोपजी वेंदो ||
सतगुर बाणी शबद सुणऐ
सतगुरु बानी ऐं सब्द पियो बधाए |
यह जग हरिया सतगुर भाए
सतगुर जे प्यार सां जग सावक पाये ||
फल फूल लागे जा आपे लाए
गुल फुल खिलन जडह पाण चाहे |
मूल लगै ता सतगुर पाये
सतगुर सां मिली समझूँ मूल छाहे ||
आप बसंत जगत सभ वाडी
पाण बसंत जग साजो आ बाघु |
नानक पूरै भाग भग़त निराली
नानक इह भक्ति मिले जिन आहे सुभाग ||
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आसा
सुतु अपराध करत है जेते
बार करो बि करे ढो |
जननी चीत न राखस तेते
मऊ मन में न रखे को ||
रामैया हउ बारक तेरा
रामैया आसीन तुहिंजा बार |
काहे ना खंडस अवगुण मेरा
छोना असांजा मिटाईं अवगुण ||
जे अत क्रॉप करे कर धाइया
केतरो बि गुसे में भजी वञे |
ता भी चीत न राखस माइया
मऊ मन में कान थी रखे ||
चिंत भवन मन परियो हमारा
मन में यह ई चिंता आहे |
राम बिना कैसे उतरस पारा
राम बिना किय पार पाये ||
देह बिमल मत सदा सरीरा |
मु सरीर खे ढे हमेशाये मत |
सहज सहज गुण रवै कबीरा ||
कबीर तोखे गायां हर वक्त ||
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