Wednesday, 9 July 2014

Gurbani shabhads - Sindhi Translation by Kanu Butani

राग सूही , महला पंजवा , छंद 
इक ओंकार सतगुर प्रसाद ||

मिठ बोलरा जी हर साजन स्वामी मोरा 

केदो मिठो थो गालाहे मुंहिंजो प्यारो सुहणो साई |
हउ समल थकी जी ओ कदै न बोलै कउड़ा 
मां परखे थकजी पियास, पर कढह न कउरो गालायईं ||
कउड़ा बोल न जाने पूरण भगवाने अवगुण को न चितारे 
कौड़ा अखर कोन जाणे पूरो पारब्रह्म मुहिंजा अवगुण कीन ढेखारे |
पतित पावन हर बिरद सदाए इक तिल नहीं भनै घालै 
पाहिजो पाण करे पतितं खे पावन ज़रो न कहिखे विसारे ||
घाट घाट वासी सरब निवासी नेरे ही ते नेरा 
हर दिल में हर हंद आ, नज़दीकन खा नज़दीक |
नानक दस सदा सरनागत हर अमृत साजन मेरा 
नानक दस सदा तो शरण  अमृत जिया मूं मीत ||

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गौरी महला पंजवा

तिस गुर कोउ  सिमरउ सास सास 
हुन गुरुअ खे जप सास सास |
गुर मेरे प्राण सतगुर मेरी रास 
गुरू मुंहिंजो साहु सतगुर मुंहिंजी रास ||
गुर का दरसन देख देख जीवा 
गुरुअ जो दर्शन डिसी डिसी जीयां |
गुर के चरण धोए धोए पीवा 
गुरुअ जा चरण धोई धोई पियां ||
गुर की रैण नित मंजन करउ 
गुरुअ जी मिटीय सां मां सनान करियां |
जनम जनम की हउमै मैल हरउ
जनमन जे अहम जो गन्दु कढा ||
तिस गुर को झुलवओ पाखा 
हुन गुरुअ खे मा चवण झूलायां वई | 
महा अगन ते हाथ दे राखा 
वडयुन बाहियुन मा ढेइ हथ सम्भालियई ||
तिस गुर के ग्रिहि देवउ पाणी 
हुन गुरुअ जे घर मा दियां पाणी |
जिस गुर ते अकल गत जानी 
जह गुरुअ खा मूं साहब राह जाणी ||
तिस गुर के ग्रिहि पीसउ नीत 
हुन गुरुअ जे घर कणक पीसियां |
जिस परसाद वैरी सब मीत 
जै किरपा दुश्मन सब दोस्त थिया || 
जिन गुर मउ को दीना जीउ 
जय गुरुअ मुखे जीवन डिनो  |
आपना दासरा आपे मुल लिओ
पहिंजो दास ठाहे पहिंजो मुल वरतो  ||
आपे लाइयो अपना पिआर 
हुन पाण डिनो पहिंजो प्यार |
सदा सदा तिस गुर को करी नमस्कार 
सदा सदा हुन गुरुअ खे कर नमस्कार ||
कल कलेस भै भरम दुःख लाथा 
तक्लीफुन डपन भरम दुख निकता |
कह नानक मेरा गुर समरथा 
नानक चाये मुंहिंजो गुरु शक्ति दाता ||

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बसंत महला तीजा 

बसंत चड़िया फूली बनराइ 
बसंत आयो गुल फुल टिरया आहिन |
एह जीअ जंत फूलह हर चित लाइ 
जीव टिरंदा जढह हर सा चित लाहिन ||
इन बिध इह मन हरिया  होइ 
ईय कंदे हीयू मन साओ रहंदो |
हर हर नाम जपै  दिन राती गुरमुख हउमै कढै धोई 
हर हर नालो जप दीहरात गुरमुख अहम धोपजी वेंदो ||
सतगुर बाणी शबद सुणऐ 
सतगुरु बानी ऐं सब्द पियो बधाए |
यह जग हरिया सतगुर भाए 
सतगुर जे प्यार सां जग सावक पाये ||
फल फूल लागे जा आपे लाए 
गुल फुल खिलन जडह पाण चाहे |
मूल लगै ता सतगुर पाये 
सतगुर सां मिली समझूँ मूल छाहे ||
आप बसंत जगत सभ वाडी 
पाण बसंत जग साजो आ बाघु |
नानक पूरै भाग भग़त निराली 
नानक इह भक्ति मिले जिन आहे सुभाग ||

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आसा 

सुतु अपराध करत है जेते 
बार करो बि करे ढो |
जननी चीत न राखस तेते 
मऊ मन में न रखे को ||
रामैया हउ बारक तेरा 
रामैया आसीन तुहिंजा बार | 
काहे ना खंडस अवगुण मेरा 
छोना असांजा मिटाईं अवगुण ||
जे अत क्रॉप करे कर धाइया
केतरो बि गुसे में भजी वञे |
ता भी चीत न राखस माइया 
मऊ मन में कान थी रखे || 
चिंत भवन मन परियो हमारा
मन में यह ई  चिंता आहे |
राम बिना कैसे उतरस पारा 
राम बिना किय पार पाये ||
देह बिमल मत  सदा सरीरा |
मु सरीर खे ढे हमेशाये मत |
सहज सहज गुण रवै कबीरा || 
कबीर तोखे गायां हर वक्त ||


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2 comments:

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